भूख क्या होती है कभी इन बच्चों से पूछिए,
अन्न का एक दाना जिसे नसीब नहीं होता उनसे पूछिए।
कचरे में फेंके हुए भोजन से न जाने कैसे ये तृप्त होते हैं,
एक रोटी की कीमत क्या होती है कभी इन बच्चों से पूछिए।
अन्दर का बचपन कहीं खो जाता है इन गुमनाम गलियों में,
बिलखते बच्चे की कभी भूख मिटा कर इनका हाल तो पूछिए।
खुदा के ये भी तो कोमल कोमल चांद के टूकडे हैं,
इन चांद के टूकडों को कभी जीवन्त कर के तों देखिए।
कभी अपने भोजन में से कुछ अंश इन्हें देकर तो देखिए,
क्षुधा शांत होने पर इनके चेहरे पर आई रौनक तो कभी देखिए।।
डॉ राजमती पोखरना सुराना भीलवाडा राजस्थान
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