लोग कहते है कहीं कुछ छुटा तो नहीं अब उन्हें कौन समझाए कुछ नहीं सबकुछ तो छुट गया नैहर में... जीवन के तड़पते वो साल रह गए नैहर में, माँ की डाँट डपट में छिपी वो पुचकार रह गई नैहर में, पिता की सख्ती में छिपा दुलार रह गया नैहर में, दादा दादी की पथराई आँखों में भरा प्यार रह गया नैहर में, भाई बहन से लड़ना फिर शिकायतों का अम्बार रह गया नैहर में, सहेलियों संग बीते लम्हों की यादों की तस्वीर रह गई नैहर में, वो लड़ना ,झगड़ना ,रूठना ,मनाना वो अपनों का साथ रह गया नैहर में, वो खेल खेलना और जीतने का जश्न रह गया नैहर में, जिद्द करके बात मनवाना वो जिद्दीपन का बर्ताव रह गया नैहर में, पहली बार बाबा का बेटी को बेटा कहना वो अहसास रह गया नैहर में।
वो शरारती अल्हड़ लड़की का अल्हड़पन रह गया नैहर में, वो नीम के पेड़ पर लगे झूलों का उल्लास रह गया नैहर में, वो बैर के पेड़ पे लगे बैरों की मिठास रह गई नैहर में, वो बीमार होने पर बाबुल का रातों का जगना रह गया नैहर में, बेटी की खुशियों में अपनी खुशियों को खोजते माँ बाप रह गए नैहर में, बेटी के गम को देख दुखी बाबुल का इन्तजार रह गया नैहर में, एक बेटी का संसार रह गया नैहर में, थामके हाथ अजनबी का चली पर अपनों के हाथों का आर्शीवाद रह गया नैहर में, किसी और को अपनाया पर वो अपनेपन का अहसास रह गया नैहर में... बेटी के सपनों का संसार और पंखों को परवाज देता आसमान रह गया नैहर में, फिर भी लोग कहते है क्या रह गया नैहर में...
(एक छोटी सी कोशिश बेटी के मन की बात कहने की.. )
तेरे बिन तेरे संग राधे कृष्णा
#मीनू
Image Source: YourDost
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