सदियों पहले नारी की क़िस्मत सोयी होगी
बूज़दिली की मिसाल देखकर पाँचाली भी रोयी होगी
गर बोले होते नरेश
तो महाभारत का बवाल ना हुआ होता
देखती सब है
महसूस भी करती है
पर गूँगी ना होती
नारी का ये हाल ना हुआ होता
दुर्योधन तब भी था
दुर्योधन आज भी है
पर उस त्राहि को अब ना झेलेगी औरत
तब तो धृतराष्ट्र अंधा था
पर आज, कुछ तो दिखा आदमी अपनी ग़ैरत
थक चुकी है सह सह कर
अब और आज़माए जाने की हिम्मत नहीं है
कुछ तो डरो, कहते हैं,
स्वर्ग - नर्क किसने देखा है
इंसाफ़ अगर होगा तो यहीं है
विद्रोही है आज की नारी
ना ग़लत सहती है ना करती है
पीछे मुड़कर नहीं देखती
बस पग भर्ती है
ये हौसला अगर दिखाती
तो यूँ ना खोयी होती
इतिहास के पन्नों में
पाँचाली ना रोयी होती
इतिहास में कुछ कमाल भी हुए हैं
लक्ष्मी और संयोगिता जैसे
बेशक़ीमती हीरे भी पिरोए हैं
उठाई थी उन्होंने कटार
अन्याय के ख़िलाफ़
घर हो या बाहर
बुलंद की थी उन्होंने आवाज़
माता पिता को समझना होगा
की कन्या अमूल्य है
लड़के की चाह में रोना
फ़िज़ूल है
बचपन से ही सिखाना होगा
अन्याय सहो नहीं
गर फिर भी सामना करना पड़े
तो हालात से डरो नहीं
आज की नारी तो
चाँद पे ध्वज लहरा रही है
वहीं गाँव कूँचों में
वो दर्द से करहा रही है
अक्षर ज्ञान चाहे आए ना आए
अपने वजूद को ना हिलने दे
ज़रा आदमी को भी
अपनी हार का स्वाद चखने दे
अब तक ज़िद ख़ूब सही
अब ज़िद पर जो उतर आए
आने वाली पीढ़ी में
नारी के हौसले सँवर जायें
नारी नयी नस्ल बनाती है
बीज को फलता फूलता पेड़ बनाती है
आँख खुलते ही
शिशु को पहला पाठ
माँ ही पढ़ाती है
आज तक मर्द ने
औरत पर हाथ ख़ूब उठाए
मज़ा तब आए
जब वो हाथ ही तोड़
औरत, मर्द को धूल चटाए
हावी ना होने दे ख़ुद पे
कुछ यूँ अपनी अस्मिता बचाए
मर्द की औक़ात क्या है
उसे याद दिलाए
जब मोटर गाड़ी लड़की चलाती है
तो रोटी भी अकेले वो क्यूँ बनाए
जब घर वो भी चलाती है
तो मर्द भी उसका हाथ बँटाए
तानाशाही ना सहे
आँसू ना बहाए
कंधे से कंधा जब मिलाया है
तो आधे कपड़े पति से धुलवाए
ना का मतलब ना है
सफ़ाई देने की ज़रूरत नहीं है
औरत पे ज़बरदस्ती का
किसी मर्द तो हक़ नहीं है
सशक्त नारी अपने सम्मान के लिए लड़े
निडर होकर
अपने हक़ के लाइट
क़ानून को साथ ले आगे बढ़े
देखते हैं फिर
किसमें है दम
जो नारी से भीड़ जाए
जब बुलंद कर इरादों को
नारी ज़माने से लड़ जाए
ये ना भूले आदमी
की जिस समाज की आड़ में
वो ज़ुल्म करता है
वो बदल रहा है
नारी की कामयाबी का जादू
पूरी दुनिया पर चल रहा है
पिछड़ा वर्ग कहकर
जो मखौल औरत का उड़ाया जाता है
अब वक़्त आ गया है बताने का
कि आधा हिस्सा आबादी का
औरत का वर्ग ही बनाता है
गरिमा, नज़ाकत की बात करते हैं
ये क्यूँ भूल जाते हैं
ख़ुद की रक्षा करने के लिए
मजबूर औरत को आदमी ही बनाते हैं
#stopdomesticviolence
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