घर में घुसते ही पापा वाला खाली पलंग जब तक रुलाए तब तक माँ की मुझे देख चमकती आँखें मुस्कुराने पर मजबूर कर देती हैं और लगता है माँ में ही कहीं पापा भी बाहें फैलाए सीने से लगाने को बेचैन हैं
इस बरसात में लकड़ियों के खरीदार मिल रहे हैं । पहले तो मुझे लग रहा था श्मशानघाट पर दुकान खोलकर गलती कर दी। लेकिन भला हो उन पंडितजी का अब तो धंधा चौचक हो रहा है पिछले दो घंटे में बारिश के बावजूद लोग घाट की दुकानें छोड़कर मेरे पास आ रहे हैं । "
Where love can be divine, sacred and the name of sacrifice for some, it can be plagued by cynicism, obsession and possessiveness for the others. Read the story to know the other aspect of love ; compelling a few to commit unthinkable, unimaginable ghastly acts just in the name of love.
भारत का बेहद खूबसूरत राज्य है कश्मीर। कहते हैं कि कश्मीर जन्नत है। कश्मीर भारत का ताज है। किताबों ,किस्से कहानियों में कश्मीर की ख़ूबसूरती के किस्से सुन मन मचल जाता था। उसपे फिल्मों में तो इसे और भी खूबसूरती से दर्शाया जाता , इसकी खूबसूरती पर गीत लिखे जाते।
जवाब एक स्त्री का समाज के उन लोगों को जो बस उसे दबाना चाहते हैं।
खाला सुबह ही धमका गई है अम्मी को ,अब चालीस रोज घर से बाहर मत निकलना । वो दिन चढ़े चुपचाप लेटी रही की शायद खाना बन जाने के बाद अम्मी उठ जाने की चिरौरी करेगी । लेकिन दस बजे के करीब अम्मी भी बगल में आकर लेट गई । कुछ देर में ही अम्मी के खर्राटे गुंजने लगे ।
पिछले कुछ समय मे किसान बेबस हो आत्महत्या कर रहा है। मैंने इस कहानी के माध्यम से एक किसान परिवार की बच्ची का डर दिखाया है कि किस तरह से एक बेटी अपने पिता के लिए डरी हुई है कि कही वो भी आत्महत्या न कर ले।
A stroy of first crush in intermediate. "साले तेरा जोक समझ लेती न वो तो एच ओ डी ऑफिस में होते", शुभम ने चुटकी ली
यहाँ कुछ बेटे हैं जो अपने पिता को वापिस पाने के लिए दिन रात रोते हैं और यहीं कुछ बेटे हैं जिनकी आँखों में पिता को देखते ही खून उतर आता है ।
कई लोगों ने कहा_"मास्टरजी आप भी क्यों इतना शारीरिक कष्ट करते हैं, मोटरसाईकिल ख़रीद लीजिये। ख़ाली हाज़िरी ही तो लेनी होती है, मोटरसाईकिल ले लीजियेगा तो और जल्दी लौट आइयेगा, समय बर्बाद नहीं होगा।
एक साल हो गए इस घटना को, छोटू अब स्कूल जाता है। माँ-बेटे दोनों ही बहुत खुश हैं l इस एक घटना ने मेरे दृष्टिकोण को काफीहद तक बदल दिया था। क्यों कि शायद मन का अँधेरा मिट गया था। आत्मा का दीपक जल उठा था। अंतर्मन का अंधकार मिट गया था। इसलिए मैंने इस संस्मरण का शीर्षक “आत्मदीपो भवः” रखा है।