एक अजन्मी बच्ची की भावनाएं , जिसे एक लड़की होने के कारण जन्म नहीं लेने दिया गया ....।
हर इंसान का स्वाद सामने वाले इंसान के हिसाब से ,परिस्थिति के अनुसार अलग अलग होता है।
પૈસા કમાવા માટે ખોટો રસ્તો ન અપનાવવો એ સમજાવતી એક વાર્તા.
कुछ ही समय बाद वो फिर से मैदान पर था अबकि बार कोच की भूमिका में।
Physical abuse isn't the only abuse. Just because my eyes aren't black and blue. Or my arm isn't broken in two. Words hurt too. A story of finding yourself after an emotionally abusive marriage.
फैसले बुरे हैं थोपे गए हैं इंसान मर रहे हैं कुछ शोर कर रहे हैं कुछ की दास्तान है रूलाने वाली आखों में सबके पानी
जो मैं लिखने जा रहा हूँ वो वही पढ़ें जिन्हे शब्द पीड़ा महसूस करनी आती है…
8 दिन हो गये । सृष्टि जिद पकड़कर बैठी है । नौकरी करेगी। आख़िर उसकी डिग्री किस काम की है ? सिर्फ घर संभालती रहेगी? आखिर वो गोल्ड मेडलिस्ट है। ऋषभ बताओ मैं क्यों नहीं कर पाऊंगी नौकरी? कितनी लड़कियां करती है। तुम्हें क्या लगता है? मैं नौकरी और घर मैनेज नहीं कर सकती?
आज माँ के हाथ का खाना खाने का मन नहीं कर रहा तो चलो बाहर चलते हैं दोस्तों के साथ । होटल में बैठ कर शाही पनीर चिली चिकेन बटर नान ये वो लटरम पटराम मंगाया जीतना मन उतना खाया बाकि का छोड़ कर डकार ली और चल दिए । कभी कभी तो गुस्से में थाली उठा कर फेंक दी ।